चालक को 5 वर्ष का कठोर कारावास व 1 लाख का जुर्माना

वाहन मालिक को प्रताड़ित व भर्त्सना देकर परिवीक्षा पर छोड़ा
शैलेश माथुर की रिपोर्ट
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सांभरझील। वाहन से हुई मौत के मामले में अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश (क्रम संख्या-2) नीरज भामू ने अभियुक्त सीताराम पुत्र रामलाल उम्र 37 वर्ष निवासी इटावा पुलिस थाना फुलेरा जिला जयपुर को दोष सिद्ध अपराध अंतर्गत धारा 304 (भाग 2), 325, 323 आईपीसी व धारा 3/181 मोटर वाहन अधिनियम के तहत दंडित किया है। न्यायालय ने अभियुक्त को अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाई है। इसके अंतर्गत धारा 304,(भाग 2) भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत 5 वर्ष का कठोर कारावास व एक लाख रुपए का जुर्माना तथा जुर्माना अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त करावास भुगतना होगा। न्यायालय ने वाहन मालिक अभियुक्त रामेश्वर पुत्र लादूराम उम्र 30 वर्ष निवासी पालुकला पुलिस थाना मोजमाबाद जिला जयपुर को मोटर वाहन अधिनियम के तहत परिवीक्षा अधिनियम की धारा 3 के तहत सम्यक रूप से प्रताड़ित एवं भर्त्सना देकर परिवीक्षा पर छोड़ा गया। न्यायालय ने अपने फैसले में लिखा कि स्पष्ट रूप से अभियुक्त सीताराम का आशय मृत्यु कारित करने का नहीं था अतः 302 आईपीसी के तहत अभियुक्त को दोष सिद्ध किया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है। हालांकि उसका यह कृत्य बिना किसी आशय के था, परंतु यह कृत्य अधिसंभाव्यता से परिपूर्ण था कि इससे किसी की मृत्यु हो सकती है और नुकसान हो सकता है अतः उसका मौके पर परिस्थिति के अनुसार किया गया कृत्य धारा 302 के तहत नहीं होकर धारा 304 भाग 2 की श्रेणी में आता है। परिवादी के अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि 21 जनवरी 2018 को शाम के समय करीब 8:00 बजे सीताराम कंकरालिया, मंगल जादू, शैतान कंकरालिया, लक्ष्मण जादू व देवेंद्र निठारवाल अपने अन्य साथियों के साथ नवरंगपुरा स्टैंड पर नशे की हालत में जमकर उत्पाद मचाया जिससे वहां पर बैठे निवासियों ने इनसे समझाईश की, जिससे सीताराम ड्राइवर ने अचानक गाड़ी पीछे की, समझा रहे रामसहाय जाट, छोटूराम जाट, ओमप्रकाश पर गाड़ी चढाने का प्रयत्न किया, जिससे वह तीनों घायल हो गए और बोलेरो गाड़ी चलाने वाले सीताराम ने वाहन सांभर की ओर मोड़ लिया। गंभीर रूप से घायल हुए छोटू राम की इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। उक्त मामले की रिपोर्ट परिवादी धारा सिंह ने सांभर थाने में दर्ज कराई थी। अधिवक्ता वीरेंद्र सिंह ने न्यायालय को यह भी बताया कि वाहन चालक सीताराम के पास वाहन चलाने का कोई लाइसेंस भी नहीं था, जबकि लाइसेंस वाहन मालिक रामेश्वर के नाम से था।

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