राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक नए भारत का निर्माण करेगी और हमारे युवाओं को नए भारत के निर्माण के लिए भविष्य की चुनौतियों के लिए ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ हमारे युवाओं को मजबूत करेगी और भविष्य की योजनाओं के लिए नए अवसर देगी
लेखक : डॉ कमलेश मीना

सहायक क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र जयपुर राजस्थान। इग्नू क्षेत्रीय केंद्र जयपुर, 70/80 पटेल मार्ग, मानसरोवर, जयपुर, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
एक शिक्षाविद्, स्वतंत्र सोशल मीडिया पत्रकार, स्वतंत्र और निष्पक्ष लेखक, मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत वक्ता, संवैधानिक विचारक और कश्मीर घाटी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार।
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सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह में, 3 नवंबर को मुझे प्रतिष्ठित और सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक, संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, लाल कोठी, नई विधानसभा, जयपुर द्वारा “शिक्षा में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा: NEP-2020 विजन की ओर एक कदम” विषय पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया गया है।
इस वर्ष की थीम सतर्कता जागरूकता सप्ताह विषय के लिए है: “सतर्कता: हमारी साझा जिम्मेदारी”। कॉलेज की प्राचार्या प्रो. सुनीता भार्गव मैडम ने राजस्थानी पारंपरिक रीति-रिवाज से मेरे सिर पर रोली का तिलक लगाकर मेरा स्वागत किया। प्रो. सुनीता भार्गव जी ने छात्रों और शैक्षणिक कर्मचारियों को मेरे और मेरी शैक्षणिक यात्रा के बारे में जानकारी दी।
इस महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान के दौरान मैंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताओं को रखा और बताया कि कैसे यह नई शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदल देगी। कैसे यह नीति छात्रों के दृष्टिकोण और शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक तरीकों से प्रभावित करेगी। अब शिक्षा का मक़सद सिर्फ नंबर नहीं, बच्चों की सोच और जीवन को निखारना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सीखना बना अब समग्र, एकीकृत, आनंदमय और रोचक। रटने की जगह अब अनुभव, सोचने-समझने और रचनात्मकता के जरिए बच्चों को सिखाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा – बुनियादी स्तर (NCF-FS) और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा – स्कूली शिक्षा (NCF-SE) जैसे ढांचे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिक्षा बच्चों की जिज्ञासा, कल्पनाशक्ति और समस्या-समाधान की क्षमता को बढ़ाए। हर बच्चा अब अपनी उम्र, ज़रूरत और रुचि के अनुसार सीखेगा—सीखने का सफर होगा सहज, सरल और आनंद से भरा।
अब बच्चों की पढ़ाई वहीं से शुरू हो रही है, जहाँ वो अपने पहले सवाल पूछते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 3 से 6 साल के बच्चों के लिए ‘बालवाटिका’ यानी प्री-प्राइमरी क्लास शुरू की गई है। यह उम्र बच्चों के दिमाग, सोच और समझ के विकास के लिए सबसे जरूरी मानी जाती है। अब देश के 4.46 लाख स्कूलों में छोटे-छोटे बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई कराई जा रही है। यहाँ बच्चों के मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और रचनात्मक विकास का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और पोषण का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। अब बच्चों को सही उम्र में, सही समय पर स्कूल में दाखिला मिल रहा है, ताकि वो धीरे-धीरे खेलते-खेलते सीखें और आगे बढ़ें। यही है मजबूत नींव, जो बच्चों के बड़े सपनों को पूरा करने में मदद करेगी। अब स्कूल सिर्फ पढ़ाई की जगह नहीं, भविष्य गढ़ने की प्रयोगशाला बन रहे हैं।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मानवीय नैतिकता और संवैधानिक मूल्यों जैसे सहानुभूति, जिम्मेदारी, स्वच्छता, दूसरों के लिए सम्मान, सार्वजनिक संपत्ति के लिए सम्मान, वैज्ञानिक स्वभाव, समानता आदि सिखाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के मूलभूत स्तंभों पर बनी है, यह नीति सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा से जुड़ी है। नई शिक्षा नीति का दृष्टिकोण समाज के सभी वर्गों के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है, इस नीति का लक्ष्य 2040 तक भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना है। नई शिक्षा नीति छात्रों में लचीलेपन और विषयों की पसंद में वृद्धि होगी। छात्र विभिन्न समूहों से विषयों का चयन कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि कला के छात्र विज्ञान स्ट्रीम से भी विषय चुन सकते हैं और इसके विपरीत। कला और विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, और व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठिन अलगाव नहीं होगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा (mother tongue) या क्षेत्रीय भाषाओं (regional languages) में ग्रेड 5 तक और अधिमानतः ग्रेड 8 तक दिया जाएगा। यह दुनिया भर में समझा जाता है कि छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति मानवीय नैतिकता और संवैधानिक मूल्यों जैसे सहानुभूति, जिम्मेदारी, स्वच्छता, दूसरों के लिए सम्मान, सार्वजनिक संपत्ति के लिए सम्मान, वैज्ञानिक स्वभाव, समानता आदि सिखाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पहुंच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के मूलभूत स्तंभों पर बनी है, यह नीति सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा से जुड़ी है। नई शिक्षा नीति का दृष्टिकोण समाज के सभी वर्गों के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली सार्वभौमिक शिक्षा प्रदान करना है, इस नीति का लक्ष्य 2040 तक भारतीय शिक्षा प्रणाली को बदलना है। नई शिक्षा नीति छात्रों में लचीलेपन और विषयों की पसंद में वृद्धि होगी। छात्र विभिन्न समूहों से विषयों का चयन कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि कला के छात्र विज्ञान स्ट्रीम से भी विषय चुन सकते हैं और इसके विपरीत। कला और विज्ञान के बीच, पाठ्यचर्या और पाठ्येतर गतिविधियों के बीच, और व्यावसायिक और शैक्षणिक धाराओं के बीच कोई कठिन अलगाव नहीं होगा। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा (mother tongue) या क्षेत्रीय भाषाओं (regional languages) में ग्रेड 5 तक और अधिमानतः ग्रेड 8 तक दिया जाएगा। यह दुनिया भर में समझा जाता है कि छोटे बच्चे अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में अवधारणाओं को अधिक तेज़ी से सीखते और समझते हैं।
नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा स्कूल में छठी कक्षा से शुरू होगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी। नई शिक्षा नीति (एनईपी) में व्यावसायिक शिक्षा स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षार्थियों को नौकरियों के लिए तैयार करेगी। व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा में व्यावहारिक सत्र, उद्योग प्रदर्शन और इंटर्नशिप शामिल होंगे, यह शिक्षार्थियों को एक विशिष्ट व्यापार के लिए तैयार करेगा और उनके तकनीकी कौशल को उन्नत करेगा जो रोजगार के लिए अनिवार्य हैं। नई शिक्षा नीति में लचीले पाठ्यक्रम वाले बहु-विषयक (Multidisciplinary) समग्र यूजी शिक्षा शामिल होगी। उच्च शिक्षा में विषयों का रचनात्मक संयोजन होगा, पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण और पूरा होने पर उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ कई प्रविष्टियां और निकास बिंदु होंगे।
सतर्कता जागरूकता सप्ताह समारोह हमें एक राष्ट्र और उसके लोगों की बेहतरी के लिए पारदर्शिता, अखंडता, ईमानदारी, समर्पण के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करता है और हम एक नागरिक के रूप में राष्ट्र के लिए अपनी जिम्मेदारी, जवाबदेही महसूस करते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमें सिखाती है कि राष्ट्र, समाज और सशक्त राष्ट्र के लिए हमारी भूमिका क्या है।
संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय की स्थापना 1986 में विद्यालयों को प्रशिक्षित शिक्षक और समाज को श्रेष्ठतम सभ्य नेता प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय को NAAC द्वारा दो बार B ग्रेड प्राप्त हुआ है और इसे UGC की धारा 2(f) और 12(B) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। संस्थान का प्रबंधन संजय शिक्षा समिति, जयपुर द्वारा किया जाता है और यह राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से B.Ed., M.Ed. पाठ्यक्रम के लिए जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर से शिक्षा शास्त्री पाठ्यक्रम के लिए और प्रारंभिक शिक्षा विभाग, बीकानेर (राजस्थान) से D.El.Ed. (सामान्य) पाठ्यक्रम के लिए संबद्ध है। और जानें संस्थान का आदर्श वाक्य है ‘एक प्रकाश जो प्रकाशित करे’। महाविद्यालय का उद्देश्य अपने छात्रों को प्रकाश प्रदान करना है ताकि वे विश्व को प्रकाशित कर सकें और अपने आस-पास के सभी अंधकार को दूर कर सकें। हमारा संस्थान स्वयं को शिक्षक शिक्षा के एक उत्कृष्ट विश्वस्तरीय केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास करता है। यह संस्थान कार्यक्रमों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है, जो शिक्षा के उभरते विश्व परिदृश्य में सेवा के लिए बौद्धिक रूप से सक्षम, नैतिक रूप से ईमानदार, शारीरिक रूप से एकीकृत और सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध शिक्षकों को विकसित करने में मदद करता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के शैक्षणिक संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों ने चर्चा और विचार-विमर्श में भाग लिया। यह पहल महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. सुनीता भार्गव जी द्वारा वरिष्ठ संकाय सदस्य डॉ. रीता झांझरिया की अनुशंसा पर की गई। मैं महाविद्यालय प्रबंधन और प्रशासन का आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे इस महत्वपूर्ण चर्चा और व्याख्यान के माध्यम से यह सुंदर, ज्ञानवर्धक और सीखने का अवसर प्रदान किया। हमने दो ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों और विषयों पर बहुत ही सुंदर चर्चा की जो न केवल शैक्षणिक संस्थानों के लिए, बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए भी आवश्यक हैं। एक शिक्षक, शिक्षाविद, प्रशासक, वक्ता और सामाजिक मुद्दों, शैक्षिक अवसरों, मीडिया और तर्कसंगत चर्चा के विशेषज्ञ के रूप में मैंने अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने का प्रयास किया, जिसके लिए मैं जाना जाता हूँ। मैंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को हमारी युवा पीढ़ी के साथ जोड़ने का प्रयास किया और नए बदलावों, नए पाठ्यक्रमों, नवाचार, कौशल विकास, उद्यमी विचारों, व्यावसायिक और पेशेवरों की शिक्षा के दृष्टिकोण से नई स्वीकृत और अपनाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से NEP-2020 की मुख्य विशेषताओं को समझाया। यहां मैं इस चर्चा के बारे में कहना चाहूंगा कि यह मेरे लिए आगामी वर्षों में एक जीवंत, विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व को समझाने, विस्तार से बताने और व्याख्या करने का सबसे अच्छा अवसर था। (लेखक का अपना अध्ययन एवं अपने विचार है)