सलाखों में पहुंचाए दरिंदे

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कहने को आज देश 21 वीं सदी की ओर जा रहा है वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उत्पत्ति तक का रहस्य खोजने का दावा कर रहे हैं। लेकिन आज भी एक सच है जो ज्यों का त्यों है। वह यह है कि पहले की तरह आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं है। खुली आंखों से सपने देखती युवतियो, मासूम बच्चियों, बुजुर्ग महिलाएं के साथ होने वाली दुष्कर्म की घटनाएं हमे प्रति पल विचलित कर रही है।
त्रेता युग में सीता का हरण हुआ तो बदला लेने के लिए राम रावण का युद्ध हुआ। द्वापर युग में द्रोपदी का चीर हरण हुआ तो महाभारत हो गया। लेकिन इस युग में महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म की घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। पर हमारा अंधा कानून न्याय दिलाने में असमर्थ है। दुष्कर्म की शिकार महिलाएं मानसिक रोगी हो जाती है। कई तो आत्महत्या तक कर लेती है। बाकी आजीवन इस दशं को झेलती है। हमारे समाज की मानसिकता में बलात्कार होने पर महिलाओं की इज्जत पर सवाल उठाया जाता है। उसको सबूत देना पड़ता है कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ है। लेकिन दुष्कर्म करने वाले को कोई जवाब नहीं देना पड़ता है। इस पीड़ा से न केवल पीड़िता बल्कि पूरा परिवार प्रभावित होता है।
इससे आहत होकर जनवरी 2012 में दिल्ली कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाऊ ने दुष्कर्म के आरोपियों का बंध्याकरण करने की अपील तक कर दी थी सच्चाई तो यह है कि सरकारी आंकड़ों के अलावा बहुत सारे केस सामने ही नहीं आते हैं। प्रतिवर्ष दुष्कर्म के बढ़ते आंकड़े किसी भी देश के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। लेकिन हमारी सरकार को अंग्रेजों के बने हुए कानून में संशोधन करने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है। जो सबसे ज्वलंत मुद्दा है । मोदी जी उस विषय पर मौन है।
अपने व्यक्तित्व, व्यवहार में ऐसी दृढ़ता बनाएं की किसी की हिम्मत ना हो कि आप पर नजर डाल सके अक्सर महिलाएं अपने किसी परिचित रिश्तेदार या पड़ोसी द्वारा ही दुष्कर्म की शिकार हो जाती है। इसलिए रिश्तो में भी कुछ दूरी व शालीनता बनाए रखें। अनजान व्यक्ति से ज्यादा खुलकर बात ना करें। एकदम से किसी पर भरोसा ना करें। पति के अलावा किसी भी पुरुष रिश्तेदार या मित्र के साथ अकेले सुनसान जगह पर ना जाएं। आत्मविश्वास को अपना मित्र बनाएं।
महिलाएं न घर में सुरक्षित है ना बाहर तो ऐसे में स्वयं केसे करें अपनी सुरक्षा। गार्जियन व पुलिस हर वक्त आपके साथ नहीं रह सकती है। हर वक्त सतर्क व सावधान रहें। अपने आसपास कोई भी संदिग्ध व्यक्ति नजर आए तो पुलिस को सूचना दें। अगर पूरी सावधानी के बावजूद भी आप के साथ कोई हादसा होने की संभावना बनती है हर परिस्थिति में हिम्मत व हौसला बनाए रखें हो सके तो जूडो कराटे का प्रशिक्षण ले यह प्रत्येक स्थिति में आपका सहायक बनेगा। अपने नाखूनों व दांतों का प्रयोग भी किया जा सकता है। सबसे अहम बात उसके प्राइवेट पार्ट पर पैरों से लातो घूंसे से प्रहार करें। प्राइवेट पार्ट पर भी नाखूनों का प्रयोग किया जा सकता है।
इस सब के बावजूद भी अगर आप दुष्कर्म की शिकार हो जाती हैं तो कानूनी सहायता लें। समाज के डर से छुपाए नहीं। इससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं।
(१) फोन या डाक द्वारा या स्वयं जाकर निकटतम थाने में सूचना दें।
(२) राष्ट्रीय महिला आयोग या राज्य महिला आयोग में भी जा सकती है।
(३) राज्य सरकार की पीड़िता पुनर्वास व्यवस्था का लाभ ले सकती है। इसके तहत पीड़िता स्थानीय लोक अदालत में आवेदन करके आर्थिक मदद ले सकती है।
(४) ट्रायल मजिस्ट्रेट भी पीड़िता को अपने स्तर पर मुआवजा दिला सकता है।
दुष्कर्म पीड़िता के केस की सुनवाई ट्रायल कोर्ट में होती है। जहां केवल जज, पीड़िता एवं दोनों पक्षों के वकील मौजूद रहते है। दरिंदों को सलाखों में पहुंचाए।
लेखिका : लता अग्रवाल, चित्तौड़गढ (राजस्थान)।

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